एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएन) के 1500 मेगावाट, 412 मेगावाट और 210 मेगावाट हाइड्रो प्रोजेक्टों में कार्यरत ठेका मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर सीटू से संबंधित यूनियनों के नेतृत्व में एसजेवीएन के शिमला स्थित मुख्यालय शनान में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा समेत यूनियनों के कई पदाधिकारियों और हाइड्रो प्रोजेक्टों के मजदूरों ने किया।
प्रदर्शन की मुख्य मांगें ग्रेच्युटी, बीमा और कार्य के आधार पर पद श्रेणी से संबंधित रहीं। मजदूरों का कहना है कि उन्हें न तो न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के तहत उचित वेतन दिया जा रहा है और न ही बीमा और ग्रेच्युटी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। नेताओं ने कहा कि एसजेवीएन को भारत सरकार द्वारा नवरत्न का दर्जा मिलने के बावजूद, इस सफलता में अहम भूमिका निभाने वाले मजदूरों के साथ अन्याय किया जा रहा है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 में हाइड्रो, सौर और पवन परियोजनाओं से 8489 MU बिजली उत्पादन कर 908.40 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया, जिसमें सबसे बड़ा योगदान हाइड्रो प्रोजेक्ट्स का रहा। नेताओं ने आरोप लगाया कि मजदूरों से कुशल कार्य करवाकर उन्हें अर्धकुशल की श्रेणी में डालकर वेतन दिया जा रहा है। इसके अलावा, न बीमा की सुविधा दी जा रही है, न ही ग्रेच्युटी का भुगतान। जबकि NHPC जैसी कंपनियां इन सुविधाओं को प्रदान कर रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मजदूरों की आवाज़ उठाने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है। नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि जल्द मांगें पूरी नहीं की गईं तो मजबूरन अनिश्चितकालीन हड़ताल कर हाइड्रो प्रोजेक्टों का कार्य बंद करना पड़ेगा।