एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एसएफआई का राज्य अधिवेशन संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में छात्रों के मुद्दों और सरकार की नीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। अधिवेशन में एसएफआई के अखिल भारतीय सह सचिव सृजन भट्टाचार्य ने उद्घाटन भाषण में केंद्र सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार देश में सांप्रदायिकता का ज़हर फैला रही है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के ज़रिए शिक्षा का निजीकरण कर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए सस्ती लेबर तैयार कर रही है।
उन्होंने कहा कि देश में स्थायी रोजगार की बजाय आउटसोर्सिंग जैसी अस्थायी व्यवस्थाएं युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं। इस नीति के खिलाफ मजबूती से लड़ने की आवश्यकता है।
इस अधिवेशन में 33 सदस्यीय राज्य कमेटी और 11 सदस्यीय सचिवालय का चुनाव किया गया। अनिल ठाकुर को प्रदेश अध्यक्ष और सन्नी सेकटा को राज्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई। दोनों नेताओं ने कहा कि प्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और वर्तमान कांग्रेस सरकार शिक्षा का निजीकरण कर रही हैं। इसके चलते छात्रसंघ चुनावों (SCA) पर प्रतिबंध लगाया गया है, ताकि छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को दबाया जा सके।
छात्रों के प्रमुख मुद्दों में कॉलेजों में PTA फंड के नाम पर वसूली, विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की अनुपस्थिति और प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी शामिल हैं। एसएफआई ने इन मुद्दों को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है और छात्रसंघ चुनावों की बहाली के लिए संघर्ष की तैयारी की है।