एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला : हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद और जिला वेटलैंड प्राधिकरण की जिला स्तरीय कार्यशाला मंगलवार को बचत भवन में उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में हुई। इसमें शिमला जिले की प्रमुख झीलों के सीमांकन और संरक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण चर्चा की गई।
उपायुक्त ने बताया कि शिमला की तानु जुब्बड़ झील और चंद्र नाहन झील का सीमांकन कार्य पूरा किया जाना है। इसके अतिरिक्त, बराड़ा झील, कनासर झील और धार रूपिन की पांच अन्य झीलों का सीमांकन भी किया जाएगा। उन्होंने संबंधित उपमंडलाधिकारी (ना०) और डीएफओ को निर्देश दिए कि वे मौके पर जाकर सीमांकन कार्य को शीघ्र पूरा करें ताकि इन वेटलैंड का संरक्षण किया जा सके और एक प्रभावी नीति बनाई जा सके।
मनरेगा के तहत पंचायतों में बनाए जा रहे तालाब : डीसी
उन्होंने कहा कि जिले में वेटलैंड और ऐतिहासिक तालाबों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। मनरेगा के तहत प्रत्येक पंचायत में तालाबों के निर्माण के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखने के लिए सीमेंट का कम से कम उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, प्राकृतिक झालों के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी से नियम बनाए जाएंगे ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। कार्यशाला में हिमकोस्टे के वैज्ञानिक अधिकारी रवि शर्मा ने बताया कि आर्द्रभूमि जल गुणवत्ता सुधारने, वन्यजीवों को आवास प्रदान करने, बाढ़ के पानी का भंडारण करने और जल प्रवाह बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन्हें जैविक सुपरमार्केट कहा जा सकता है क्योंकि ये कई प्रजातियों के लिए पोषण और आश्रय का स्रोत होती हैं।