एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर बुशहर। झाकड़ी, दत्तनगर, बिथल, नीरथ और किसान मजदूर भवन चाटी में सीटू से संबद्ध यूनियनों ने मई दिवस बड़े जोश से मनाया। इस अवसर पर मज़दूरों ने 20 मई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया, जिसका उद्देश्य मोदी सरकार की मज़दूर, किसान और जन विरोधी नीतियों का विरोध करना है। सीटू के जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह, सचिव अमित, मिलाप नेगी, दयाल भाटनू सहित कई मज़दूर नेताओं ने शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने 8 घंटे के कार्य दिवस के अधिकार के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। उन्होंने कामरेड एम. सिंगारवेलु को भी याद किया, जिन्होंने 1923 में मद्रास में पहली बार लाल झंडा फहराया था। नेताओं ने मई दिवस के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिन अमेरिकी मज़दूर आंदोलन से जुड़ा है, जहां 1886 में 16 घंटे के कार्य दिवस के खिलाफ मज़दूरों ने संघर्ष किया था। पुलिस दमन के खिलाफ उनके खून से रंगे कपड़े ही लाल झंडे की प्रेरणा बने।
केंद्र सरकार की आलोचना, न्यूनतम वेतन न बढ़ाने पर जताई नाराजगी
मज़दूर नेताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने न्यूनतम वेतन में वृद्धि न करने, नई श्रम संहिताएं थोपने और सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण को जनविरोधी करार दिया। उन्होंने चुनावी बांड योजना को भी भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया। नेताओं ने कहा कि 20 मई की हड़ताल सिर्फ श्रम संहिताओं के खिलाफ नहीं, बल्कि नवउदारवादी नीतियों के खिलाफ व्यापक संघर्ष का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार सांप्रदायिकता फैलाकर मजदूरों और किसानों की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है और आरएसएस के ‘हिंदू राष्ट्र’ के एजेंडे को बढ़ावा दे रही है। सीटू नेताओं ने किसानों और मजदूरों की एकजुटता के साथ सरकार के खिलाफ संघर्ष को तेज करने और पूंजीवादी व्यवस्था के संकट में मजदूर वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया।