एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। सीटू जिला कमेटी शिमला की बैठक किसान-मजदूर भवन कैथू में जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में जिला महासचिव अजय दुलटा सहित बालक राम, रमाकांत मिश्रा, हिमी देवी, अमित कुमार, विवेक कश्यप, प्रताप चौहान, वीरेंद्र लाल पामटा, शांति देवी समेत अन्य सदस्यों ने भाग लिया।
बैठक में 9 जुलाई को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी मजदूर हड़ताल को सफल बनाने, 108 व 102 एंबुलेंस कर्मियों के आंदोलन को तेज करने, मिड डे मील, आंगनबाड़ी कर्मियों की मांगों के समर्थन में आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने और सीटू जिला सम्मेलन की तैयारियों को अंतिम रूप देने पर चर्चा की गई।
बैठक को संबोधित करते हुए सीटू नेताओं ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स के माध्यम से देश के श्रमिकों पर गुलामी थोप रही है। इन कोड्स से 70 प्रतिशत उद्योग और 74 प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे न केवल मजदूरों की हड़ताल का अधिकार छीना जा रहा है, बल्कि नियमित रोजगार की बजाय ठेका प्रथा और फिक्स टर्म नौकरियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रमुख मांगें और मुद्दे:
न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रतिमाह घोषित किया जाए
योजना कर्मियों, आउटसोर्स, टेम्परेरी व कैजुअल कर्मचारियों को नियमित किया जाए
मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम वेतन व 200 कार्य दिवस दिए जाएं
मिड डे मील, आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित कर ग्रेच्युटी लागू की जाए
ठेका मजदूरों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतन व सामाजिक सुरक्षा दी जाए
ओपीएस बहाल की जाए, न्यूनतम पेंशन ₹9,000 लागू हो
ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं
सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोका जाए
अग्निवीर, आयुद्धवीर, फिक्स टर्म योजनाएं रद्द की जाएं
भारी महंगाई और बेरोजगारी पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं
नेताओं ने कहा कि केंद्र की नवउदारवादी व कॉरपोरेट परस्त नीतियों से बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी और असमानता बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर कर जनता को महंगे पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और खाद्य वस्तुओं के दामों की मार झेलने को मजबूर किया जा रहा है।
नेताओं ने एलान किया कि 9 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के हजारों मजदूर सड़क पर उतरकर केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे और सभी प्रमुख मांगों को लेकर निर्णायक संघर्ष किया जाएगा।