एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। उपायुक्त कार्यालय के रोज़ना हॉल में आज द इंटीग्रेटेड माउंटेन इनिशिएटिव (आईएमआई) के हिमाचल प्रदेश राज्य अध्याय सतत विकास मंच हिमाचल प्रदेश (SDFHP) द्वारा “ग्लोबल प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें” विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता पूर्व उपायुक्त शिमला डॉ. एस. एन. जोशी ने की। इस दौरान प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता, उसके खतरों और समाधान पर गहन विचार-विमर्श हुआ। पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों ने हाइब्रिड माध्यम से भी कार्यशाला में भाग लिया।
प्रमुख बिंदु:
प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता: कार्यशाला में वक्ताओं ने प्लास्टिक कचरे के पर्यावरण, जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों पर चिंता जताई।
जीवनशैली में बदलाव की जरूरत: वक्ताओं ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और वैकल्पिक उपाय अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. दिनेश मल्होत्रा की प्रस्तुति: सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक अधिकारी डॉ. दिनेश मल्होत्रा ने विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 में हिमाचल प्रदेश ने लगभग 3.36 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न किया।
राज्य सरकार की पहलें: सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध, “बाय-बैक नीति”, “पॉलीथीन हटाओ – पर्यावरण बचाओ” अभियान, पत्तों की थालियों को प्रोत्साहन, सड़क निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग और विशेष राज्य कानूनों को रेखांकित किया गया।
संगठनों की भागीदारी: पूर्व नगर निगम आयुक्त डॉ. एम. पी. सूद, द आईएमआई अध्यक्ष रमेश नेगी, पूर्व सांसद पी. डी. राय, पूर्व अध्यक्ष सुशील रमोलासहित विभिन्न विभागों, एनजीओ व पर्यावरण कार्यकर्ताओं की सक्रिय सहभागिता रही।
आईएमआई के राज्य अध्याय द्वारा आयोजित यह कार्यशाला हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक रही।