एआरबी टाइम्स ब्यूराे
मंडी। जिला मंडी में हाल ही में आई भीषण बारिश, बादल फटने और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण 708 करोड़ रुपये से अधिक की निजी व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ है। इस नुकसान का आकलन करने के लिए पहुंचे अंतर मंत्रालयीय केंद्रीय दल ने बीती शाम डीआरडीए सभागार में जिला अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में राहत एवं पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की गई।
बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्रालय के उप सचिव कंदर्प वी. पटेल ने की। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों से नुकसान से संबंधित विस्तृत ज्ञापन निर्धारित मानदंडों के अनुसार शीघ्र भेजने का आग्रह किया ताकि रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय कार्यकारी समिति एवं केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति को भेजी जा सके।
प्रदेश के विशेष सचिव (राजस्व व आपदा प्रबंधन) डी.सी. राणा ने कहा कि सरकार अब पुनर्निर्माण और बहाली पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि भवनों का निर्माण सुरक्षित स्थानों पर हो और बाढ़-प्रभावित इलाकों में ढलान स्थिरिकरण व जल-प्रबंधन की दिशा में ठोस कार्य किया जाए। साथ ही प्री-फैब्रिकेटेड घरों के निर्माण की संभावनाएं भी तलाशी जाएं।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि सबसे अधिक नुकसान थुनाग उपमंडल में (394 करोड़ रु.) आंका गया है। अन्य प्रभावित क्षेत्र करसोग (55 करोड़ रु.) और धर्मपुर (47 करोड़ रु.) रहे। लोक निर्माण विभाग को 302 करोड़, जल शक्ति विभाग को 190 करोड़ और विद्युत बोर्ड को 34 करोड़ का नुकसान हुआ है।
इस आपदा में 349 मकान पूर्णतः और 546 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 1155 पशुधन की हानि और 241 दुकानें भी प्रभावित हुई हैं। राहत कार्यों में एनडीआरएफ, सेना, पुलिस, स्वास्थ्य व अन्य विभागों की टीमों ने संयुक्त रूप से कार्य किया। वर्तमान में 15 राहत शिविरों में 393 प्रभावित रह रहे हैं।
