एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून की दस्तक के साथ प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। कुल्लू और कांगड़ा जिलों में बादल फटने की घटनाओं ने लोक निर्माण विभाग (PWD) को सतर्क कर दिया है। इन दोनों जिलों में छोटे-बड़े 10 पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं जिससे विभाग को दो करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। परिवहन व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभाग 13 बेली ब्रिज की व्यवस्था कर चुका है। क्षतिग्रस्त पुलों के स्थान पर जरूरत अनुसार बेली ब्रिज लगाए जाएंगे। विभाग ने ऐलान किया है कि बाढ़ से कोई पुल टूटता है तो 15 दिनों के भीतर वहां बेली ब्रिज लगाया जाएगा।
मानसून अलर्ट के चलते सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। केवल विशेष परिस्थितियों में ही छुट्टी की अनुमति दी जाएगी। विभागीय मुख्यालय में लगातार आपात बैठकें हो रही हैं और जिलों से नुकसान की रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। इंजीनियर इन चीफ नरेंद्र पॉल ने बताया कि मंडी, शिमला और कुल्लू जैसे संवेदनशील जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कई क्षेत्रों में सड़कें मलबे से अवरुद्ध हो रही हैं और पहाड़ खिसकने का खतरा बना हुआ है।
2022-23 में हुई आपदाओं के अनुभव को ध्यान में रखते हुए विभाग ने पहले ही अस्थायी पुलों की योजना तैयार की है। जिन स्थानों पर पिछले साल अस्थायी पुल लगाए गए थे, वहां अब स्थायी पुल निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है। सड़क सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए डिवीजन स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। साथ ही पुराने पुलों का ऑडिट भी शुरू कर दिया गया है और जिनकी हालत खराब पाई जाएगी, उन्हें बदला जाएगा।आपदा प्रबंधन विभाग और लोक निर्माण विभाग ने आम जनता और मजदूरों से सतर्क रहने की अपील की है। विशेषकर नदियों और नालों के किनारे जाने से बचने की सलाह दी गई है।