एआरबी टाइम्स ब्यूरो
देहरादून/शिमला। भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून में शनिवार को आयोजित पासिंग आउट परेड में हिमाचल के छह युवाओं ने सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट कमीशन प्राप्त किया। परेड में सेना की वर्दी में सजे इन युवाओं को देखकर उनके परिजनों की आंखों में गर्व के आंसू छलक उठे। राज्य के अलग-अलग जिलों के इन होनहारों को अब देश की सेवा का गौरव प्राप्त हुआ है। हिमाचल के इन छह युवा लेफ्टिनेंटों की सफलता न केवल प्रदेश के लिए गर्व की बात है बल्कि युवाओं को प्रेरणा देने वाली भी है। देशसेवा का यह जज्बा और समर्पण भाव भविष्य की पीढ़ियों को भी सेना में कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
देश सेवा का जनून शुभम को सेना में ले आया
शुभम ठाकुर का चयन भारतीय सेना की प्रतिष्ठित 5/5 गोरखा राइफल रेजीमेंट में हुआ है। मूल रूप से सरयून खास पंचायत के जमथलीघाट गांव के रहने वाले शुभम की शुरुआत एक मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी से हुई थी, लेकिन देशसेवा का जुनून उन्हें सेना में ले आया। उनके माता-पिता, राजेश ठाकुर और मां, पासिंग आउट परेड में मौजूद थे। पिता ने बताया कि बेटे ने शानदार पैकेज वाली नौकरी छोड़कर सीडीएस की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त की।
चार साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद मुकाम पर पहुंचे आर्यन
आर्यन ठाकुर ने सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। पहले ही प्रयास में एनडीए की परीक्षा पास कर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे पहुंचे और चार साल का कठिन प्रशिक्षण लिया। इसके बाद IMA देहरादून से पासआउट होकर अब भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं। उनके पिता रणधीर सिंह शिक्षा विभाग में टीजीटी नॉन मेडिकल हैं और माता वैष्णो देवी गृहिणी हैं।
नाना से मिली प्रेरणा से परिश्रुत ने साकार किया अपना सपना
परिश्रुत को भारतीय सेना में जाने की प्रेरणा अपने नाना, स्व. जगदीश कुमार पवार से मिली, जो सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत रहे थे। अनुशासन और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत परिश्रुत ने अपनी शुरुआती पढ़ाई तलाई के शिशु मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की और फिर एनडीए के माध्यम से भारतीय सैन्य अकादमी पहुंचे। अब वह भी लेफ्टिनेंट बनकर देश की सेवा करेंगे।
दिल देशसेवा में था, इसलिए शिवम ने छोड़ी निजी कंपनी की नौकरी
शिवम भाटिया ने गुरुग्राम की एक निजी कंपनी में नौकरी की थी लेकिन उनका दिल देशसेवा में था। उन्होंने नौकरी छोड़ी और कड़ी मेहनत से सीडीएस परीक्षा की तैयारी कर पहले प्रयास में सफलता हासिल की। उनके माता-पिता सुरिंद्र कुमार और कांता, शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। पासिंग आउट परेड में दोनों ने बेटे को वर्दी में देखकर गर्व महसूस किया।
पिता और बहन ने उदित के सपनों को दी उड़ान
कोटली डवाहन गांव के रहने वाले उदित पालसरा का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मात्र चार साल की उम्र में मां को खो देने के बाद उनका पालन-पोषण पिता राजेश कुमार, दादी और बड़ी बहन रचना ने किया। बहन एक स्टाफ नर्स हैं, जबकि पिता डाटा एंट्री ऑपरेटर हैं। उदित ने आलोक भारती विद्यालय कोटली से 12वीं और मंडी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। जनवरी 2024 में वह सेना में चयनित हुए और अब IMA से प्रशिक्षण पूर्ण कर लेफ्टिनेंट बने हैं।
परिजनों के मार्गदर्शन, अपने हौसले से अनुज ने पाया मुकाम
अनुज वशिष्ठ ने सितंबर 2021 में एनडीए परीक्षा पास की थी। करीब चार साल के लंबे प्रशिक्षण के बाद उन्होंने IMA देहरादून से पासआउट होकर भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को दिया। उनका कहना है कि परिवार ने हर मोड़ पर उनका मार्गदर्शन और समर्थन किया।