एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। भारत के छोटे शहरों और दूरदराज गांवों में तकनीक की पहुंच सामाजिक और आर्थिक खाइयों को कम कर रही है। अदाणी फाउंडेशन की पहल अदाणी सक्षम ऐसे ही परिवर्तन की मिसाल है, जो युवाओं को आधुनिक कौशल से लैस कर आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित कर रही है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की दो बेटियां शानिया देवी और दीक्षा शर्मा ने यह साबित कर दिखाया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो संसाधनों की कमी बाधा नहीं बनती। अदाणी सक्षम (गगल केंद्र) के माध्यम से इन दोनों को अत्याधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण मिला। यह केंद्र हिमाचल प्रदेश का पहला रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (RPTO) भी है।
घुमारवीं कस्बे की शानिया, अपने पिता के निधन के बाद कठिन परिस्थितियों में पली-बढ़ी। मां ने सीमित आय में भी उसकी शिक्षा नहीं रुकने दी। जब शानिया को अदाणी सक्षम के AI आधारित कोर्स के बारे में पता चला, तो वह पहले झिझकी, लेकिन फिर पूरी लगन से पढ़ाई की। परिणामस्वरूप, उसे ATS मोहाली और फिर नेउरीका टेक्नोलॉजी में नौकरी के प्रस्ताव मिले, जहां उसका वेतन 35% बढ़ा। छकोह गांव की दीक्षा सीमांत किसान परिवार से आती हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद, उन्होंने अदाणी सक्षम के AI कोर्स में दाखिला लिया। उनकी सोच थी कि ग्रामीण भारत की लड़कियों को महत्वाकांक्षा और जिम्मेदारी के बीच से चुनना नहीं पड़ना चाहिए। आज वे एरियल टेलीकॉम सॉल्यूशंस में वीज़ा फाइलिंग ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं।
16 मई 2016 को शुरू हुआ यह कार्यक्रम ‘स्किल इंडिया’ मिशन के अंतर्गत चलाया जा रहा है। यह हाइब्रिड फॉर्मेट में प्रशिक्षण देता है, जिसमें वर्चुअल लैब और प्रैक्टिकल अनुभव शामिल हैं। इसमें ड्रोन संचालन, सिमुलेशन, 3D प्रिंटिंग और AI जैसे विषय शामिल हैं। अब यह कार्यक्रम झारखंड के गोड्डा और हिमाचल के गगल जैसे कस्बों तक फैल चुका है। अब तक अदाणी सक्षम ने 1.85 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया है और लगभग 200 करोड़ मानव घंटे का निवेश किया है। प्रशिक्षित युवा हर साल 479 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व उत्पन्न कर रहे हैं। यह कार्यक्रम देश के 15 राज्यों के 40 से अधिक शहरों में सक्रिय है।