Himachal : हिमाचल में जारी रहेगी पुरानी पेंशन योजना, जेबीटी के 1000 पदों पर होगी भर्ती: सुक्खू

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

धर्मशाला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बंद नहीं करेगी। केंद्र सरकार की तरफ से आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद राज्य सरकार ओपीएस वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि 1.36 लाख कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दी गई है ताकि वे वृद्धावस्था में गरिमापूर्ण जीवन जी सकें। शिक्षा क्षेत्र में सुधार पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि अगले वर्ष तक 100 सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न लागू किया जाएगा। इसके साथ ही जेबीटी शिक्षकों के 1000 पद भरे जा रहे हैं। उन्होंने राज्य चयन बोर्ड के माध्यम से भरे जा रहे टीजीटी के 967 पदों के लिए अभ्यर्थियों को आयु सीमा में दो साल की छूट देने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि पूर्व में कर्मचारी चयन बोर्ड में पेपर लीक के चलते भर्ती नहीं हो पाई थी, इसलिए अभ्यर्थियों को राहत देने का सरकार ने फैसला लिया है। ऐसे में अब इन पदों के लिए 47 साल की आयु तक के अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने कांगड़ा में कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने बिना जरूरत के भवन बनवाकर जनता के पैसे की बर्बादी की। वर्तमान सरकार ने दो वर्षों में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन के ज़रिए 3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश वर्ष 2026 तक ग्रीन एनर्जी स्टेट बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और राज्य सरकार इस लक्ष्य को हर हाल में पूरा करेगी। इस दिशा में 350 इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जा रही हैं और भविष्य में हिमाचल पथ परिवहन निगम का पूरा बेड़ा ई-व्हीकल में तब्दील किया जाएगा। वे जिला कांगड़ा के राजकीय महाविद्यालय ढलियारा में आयोजित 32वीं हिमाचल राज्य स्तरीय चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस के समापन समारोह में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर साइंस क्विज, मैथ्स ओलंपियाड, इनोवेटिव साइंस मॉडल, निबंध लेखन और स्लोगन राइटिंग प्रतियोगिताओं में विजयी बाल वैज्ञानिकों को सम्मानित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। दो दिवसीय कार्यक्रम में राज्य के 12 जिलों से आए करीब 600 विद्यार्थियों और शिक्षकों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा विज्ञान प्रसार के लिए दी जाने वाली दो करोड़ की राशि बंद कर दी गई है, लेकिन राज्य सरकार ने हिमकोस्टे के आग्रह पर यह धनराशि उपलब्ध करवाई ताकि बच्चों में वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित किया जा सके।

 

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