एआरबी टाइम्स ब्यूरो
मंडी। एसडीएम सदर मंडी ओमकांत ठाकुर ने कहा कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए समाज में व्यापक जागरूकता लाना आवश्यक है। वह बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए गठित उपमंडल स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष से कम आयु को नाबालिग माना जाता है, और इस आयु से पहले विवाह करना एक गंभीर और गैर-जमानती अपराध है।
एसडीएम ठाकुर ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बाल विवाह होता है, तो इसके लिए न केवल अभिभावक, बल्कि विवाह स्थल, पंडित, मौलवी, बैंड, टेंट, डीजे और कैटरिंग सेवाएं प्रदान करने वाले लोग भी कानूनी रूप से उत्तरदायी होंगे। ऐसे मामलों में दोषियों को दो साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
उन्होंने बैठक में उपस्थित अधिकारियों, पुजारियों, कैटरिंग, टेंट और डीजे संचालकों से अपील की कि वे यदि कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिले, तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें और इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने में सक्रिय भूमिका निभाएं।
साथ ही, उन्होंने महिला एवं बाल विकास, शिक्षा और पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि वे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला व युवक मंडलों और पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह निषेध अधिनियम की जानकारी आम जनता तक पहुँचाएं।
इस बैठक में बाल विकास परियोजना अधिकारी मंडी सदर जितेन्द्र सैणी सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।