एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। पहलगाम में 26 निर्दोष सैलानियों की नृशंस हत्या के बाद देशभर में शोक और आक्रोश का माहौल है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन (बिकेयू) के नेता नरेश टिकैत के एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। टिकैत ने केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को रद्द करने के निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि “भारत और पाकिस्तान का किसान एक है”। इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
हिमाचल किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष संजीव देष्टा ने इस बयान को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह शहीदों और उनके परिवारों का सीधा अपमान है। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, तब ऐसे राष्ट्रविरोधी बयान देश की पीठ में छुरा घोंपने के समान हैं। देष्टा ने सवाल उठाया कि जो देश हमारे निर्दोष नागरिकों की हत्या करवा रहा है, उसके साथ किसी भी प्रकार के संबंध बनाए रखने की बात आखिर कैसे की जा सकती है? देष्टा ने कहा कि नरेश टिकैत का बयान न केवल मारे गए लोगों के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाता है, बल्कि भारत की एकता और सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रति अनावश्यक सहानुभूति दिखाना देश के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है। इस बयान से किसानों की छवि भी प्रभावित हुई है।
हिमाचल किसान मोर्चा ने मांग की है कि नरेश टिकैत को देश और किसानों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। साथ ही, ऐसे विचार रखने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर उनका हुक्का-पानी बंद किया जाना चाहिए, ताकि राष्ट्रविरोधी मानसिकता को कोई स्थान न मिले। देष्टा ने केंद्र सरकार के सिंधु जल संधि रद्द करने के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि यह कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लिया गया यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि अब आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। यह भारत की संप्रभुता और आत्मसम्मान की रक्षा की दिशा में एक मजबूत और जरूरी कदम है।